विकिरण संसूचन एवं मापन तकनीकें
नाभिकीय विकिरण का संसूचन एवं मापन उपयुक्त उपकरणों द्वारा किया जाना चाहिये; क्योंकि ये विकिरण अदृष्य है तथा उनकी उपस्थिति मानव की ज्ञानेंद्रियों द्वारा नही जानी जा सकती। सभी विकिरण मानीटरन उपकरणों में एक विकिरण संवेदी संसूचक तथा संसूचक पर विकिरण के प्रभाव (अर्थात संसूचक की अनुक्रिया) को रिकार्ड करने की युक्ति होती है। संसूचकों पर विकिरण के भौतिक प्रभाव होते हैं जिनका मापन किया जा सकता है। आयनीकरण ऐसा एक प्रभाव है। आयन-युग्मों को एकत्र करके विद्युतीय सिग्नल में बदला जाता है जो विकिरण की तीव्रता की सूचना देता है। कुछ संसूचक विकिरण पड़ने पर प्रकाश स्पंद उत्सर्जित करते हैं तथा स्पंदों की गणना से विकिरण की तीव्रता जानी जा सकती है। कुछ अन्य संसूचक विकिरण के प्रभाव को लंबे समय तक भंडारित रखते हैं तथा बाद में इनसे जानकारी ली जा सकती है। ये सभी युक्तियां विकिरण द्वारा इनमें डाली गयी ऊर्जा के प्रति अनुक्रिया करती हैं। उपकरण को पड़ने वाले विकिरण की दर या किसी अवधि में प्राप्त कुल विकिरण के मान के लिये डिज़ाइन किया जा सकता है। विकिरण संसूचन के लिये सामान्यत: यह माध्यम प्रयुक्त होते हैं :
- गैसें (जैसे आयनकक्ष, समानुपाती गणित्र, गीगर मुलर गणित्र)
- प्रस्फुरक [NaI(Te), एंथ्रासीन आदि]
- ठोस अवस्था संसूचक (अर्धचालक, ताप संदीप्ति डोज़ मापक आदि)
- फोटोग्राफिक इमलशन (फिल्म)
संसूचक का चुनाव कई बातों पर निर्भर करता है – विकिरण के प्रकार, ऊर्जा तथा तीव्रता के स्तर के अतिरिक्त कीमत, आकार, उपलब्धता तथा आवश्यक इलेक्ट्रानिक्स आदि। अत:, प्रत्येक स्थिति में उनके चुनाव व इष्टतम प्रयोग के लिये विभिन्न संसूचकों तथा उनके लक्षणों की जानकारी आवश्यक है।
गैस युक्त संसूचकों का सिद्धांत
गैस युक्त संसूचक सबसे प्रचालित संसूचक है। इसका सिद्धांत यह है कि जब विकिरण हवा या किसी गैस में से गुज़रता है तो हवा या अणुओं में आयनीकरण होता है। चित्र 1 में गैस युक्त संसूचक के लक्षण दिखाये गये हैं। आयन-युग्मों को एकत्र करके विद्युतधारा या स्पंदों के रूप में मापा जाता है। यह अधिकतर बेलनाकार होते हैं तथा इनमें दो इलेक्ट्रोड होते हैं – केन्द्रीय इलेक्ट्रोड तथा बाहरी आवरण जिन्हें कुचालक द्वारा पृथक रखा जाता है जब इलैक्ट्रोड पर परिवर्तनशील वोल्टेज़ लगाई जाती है तो धनात्मक आयन बाहरी इलेक्ट्रोड (कैथोड) की ओर आकर्षित होंगे तथा ऋणात्मक आयन, धनात्मक इलेक्ट्रोड (एनोड) की ओर जायेंगे। एनोड तथा कैथोड द्वारा संग्रह किये गये आयन थोड़ी सी विद्युत धारा उत्पन्न करते हैं। इलेक्ट्रोडों पर एक संवेदी धारामापक लगाकर इस धारा का मापन करके इसे एक सिग्नल के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है। कक्ष में जितना अधिक विकिरण जायेगा विद्युत धारा उतनी ही प्रबल होगी। यदि संसूचक द्वारा संग्रहीत आयनों की संख्या की विभिन्न वोल्टेज लगाकर मापा जाये तो संसूचक की अनुक्रिया के निम्न 6 भाग देखे जायेंगे (चित्र 2)।
चित्र 1 : गैसयुक्त संसूचक तंत्र
चित्र 2 : विभिन्न वोल्टेज पर गैसयुक्त संसूचक की अनुक्रिया
कम वोल्टेज लगाने पर कुछ आयन युग्म पुन: संयोजित होकर आवेशित परमाणु बनाते हैं। वोल्टेज बढ़ाने पर पुनर्संयोजन की प्रक्रिया कम हो जाती है। अत: संग्रहीत आयन युग्मों की संख्या शुरू में प्रयुक्त वोल्टेज बढ़ाने पर बढ़ती है। (क्षेत्र-1)
गैसयुक्त विकिरण संसूचक
आयनीकरण कक्ष काफी बहुमुखी उपकरण है। इसे विभिन्न गैसों के साथ कई आकारों व आमापों में डिज़ाइन किया जा सकता है। कक्ष में प्रयुक्त इलेक्ट्रोड का पदार्थ, गैस तथा उसका दाब तथा कक्ष का आमाप मापे जाने वाले विकिरण की तीव्रता पर निर्भर करते हैं। सामान्यत: इसमें वातावरणीय दाब पर हवा का प्रयोग होता है। दीवारों के पदार्थ के विकिरण, अवशोषण व प्रकीर्णन लक्षण हवा के समान ही होते हैं अर्थात दीवार के पदार्थ की प्रभावी परमाणु संख्या हवा की संख्या (Z=7.64) के निकट ही होनी चाहिये। ऐसे आयनकारी कक्ष वाले उपकरण की अनुक्रिया ऊर्जा स्वतंत्र होगी। परमाणु संख्या हवा के समान रखने के लिये ग्रेफाइट, बेकेलाइट या टेफ्लान का प्रयोग किया जाता है।
ठोस अवस्था संसूचक s
अभी तक ऊपर वर्णित संसूचक गैस में विकिरण द्वारा उत्पन्न आयनीकरण का मापन करते हैं। प्रस्फुरण संसूचक एक अलग सिद्धांत पर काम करता है – यह विकिरण द्वारा कुछ पदार्थों में उत्पन्न क्षणिक प्रकाश दीप्तियों का संसूचन करता है। इन दीप्तियों (जिन्हें प्रस्फुरण कहा जाता है) को विद्युत सिग्नलों में बदला जाता है। उपयुक्त इलेक्ट्रानिक तंत्र द्वारा इन सिग्नलों के विश्लेषण से विभिन्न प्रकार के विकिरणों तथा एक विकिरण की विभिन्न ऊर्जाओं का मापन किया जा सकता है।
प्रस्फुरक संसूचक कई प्रकार के होते हैं परंतु उनके संसूचक तंत्र में सदैव दो प्रकाश-युग्मित घटक होते हैं। पहला घटक प्रस्फुरक है। यह ठोस या तरल पदार्थ है जिसमें विकिरण द्वारा ऊर्जा डाले जाने पर यह प्रकाश के स्पंद उत्पन्न करता है। इसे प्रस्फुरण ‘फास्फर’ कहा जाता है। दूसरा घटक है प्रकाश प्रवर्धक ट्यूब जो प्रकाश स्पंदों को विद्युत धारा में बदलती है।
अल्फा, बीटा, गामा व न्यूट्रानों के लिये प्रस्फुरण संसूचक उपलब्ध हैं। प्रस्फुरक, प्लास्टिक, अकार्बनिक या कार्बनिक पदार्थ से बने होते हैं जिन्हें विभिन्न आकार व आमाप में बनाया जा सकता है। प्रस्फुरण संसूचक अचल या सुवाह्य उपकरणों में प्रयोग किये जा सकते हैं। प्रवेश करने वाला विकिरण प्रस्फुरक के साथ अंतर्क्रिया से कुल ऊर्जा या उसके किसी भाग को प्रस्फुरक में अंतरित करता है। अर्जित प्रस्फुरक अणु, ऊर्जा ह्रास (de-eaxatation) द्वारा प्रकाश फोटान उत्पन्न करते हैं। गामा विकिरण के संसूचन व विश्लेषण के लिए NaI (Tl) संसूचक का प्रयोग किया जाता है। उच्च संवेदकता के कारण ये संसूचक उच्च पृष्ठभूमिक विकिरण स्तर भी दर्शाते हैं अत: पृष्ठभूमिक विकिरण को कम करने के लिये संसूचक का परिरक्षण किया जाता है।
यूट्रान संसूचन
चूंकि न्यूट्रान अनावेशित कण है अत:, अनेक संसूचन की विधि आवेशित कणों व गामा विकिरण से अलग है। न्यूट्रान संसूचन की विधियां हैं – (क) न्यूट्रान प्रेरित रूपांतरण जिससे आवेशित कण या गामा विकिरण उत्पन्न हो, (ख) न्यूट्रान प्रेरित रूपांतरण जिससे रेडियोसक्रिय नाभिकी उत्पन्न हो जिसके क्षय से न्यूट्रान फ्लक्स का जानकारी मिल सके तथा (ग) न्यूट्रानों का प्रत्यास्थ प्रकीर्णन जिससे आवेशित कण उत्पन्न हों। अत: न्यूट्रान संसूचन तंत्र में (i) अंतर्क्रिया माध्यम जिसमें न्यूट्रान उपर्लिखित प्रभावों में से कोई प्रभाव उत्पन्न करते है तथा (ii) संसूचन माध्यम जिसमें आवेशित कणों या गामा विकिरण को मापा जाता है।
इसके लिये मुख्यत: (n, अल्फा) अभिक्रिया का प्रयोग होता है (अर्थात माध्यम के साथ न्यूट्रानों की अंतर्क्रिया के कारण अल्फा कण उत्पन्न होते हैं जैसे 10B(n, अल्फा)7Li । विमोचित अल्फा कणों को उपयुक्त तंत्र द्वारा संसूचित कर लिया जाता है। BF3 गैस युक्त या बोरान लेपित समानुपाती गणित्र, तापीय न्यूट्रानों के संसूचन के लिये सर्वाधिक प्रयोग किये जाते हैं। इसी प्रकार He-3 गैस युक्त समानुपाती गणित्र में 3He(n,p)3H अभिक्रिया द्वारा न्यूट्रानों का संसूचन किया जाता है। वैयक्तिक मानीटरन फिल्म बैजों में, तापीय न्यूट्रान डोज़ के मापन के लिये कैडनियम फिल्टर का प्रयोग किया जाता है। कैडमियम फिल्टर तापीय न्यूट्रान अवशोषत करके 113Cd (n, गामा)114Cd अभिक्रिया द्वारा तत्काल गामा विकिरण देता है जो फिल्म को काला कर देता है।
विकिरण मापक उपकरण
विकिरण उद्भासन के नियंत्रण के लिये उपयुक्त उपाय अपनाने के लिये विकिरण जोखिम का आकलन आवश्यक है। न्यूक्लियानिक गेज़ों में तथा कूप लागिंग उपकरणों में प्रयुक्त स्रोत आवरण में सीलबंद होते हैं। इसलिये आंतरिक जोखिम की समस्या तब तक नहीं होती जब तक प्रयोग के दौरान आवरण टूट न जाये।
बाहरी जोखिम का आकलन अपेक्षाकृत सरल है तथा इस कार्य के लिये बाजार में कई प्रकार के उपकरण तथा वैयक्तिक मानीटरन उपकरण। क्षेत्रीय मानीटरन के लिये अधिकतर गीगर मुलर गणित्र, आयनीकरण कक्ष तथा समानुपाती गणित्र प्रयोग किये जाते हैं। ये उपकरण विकिरण तीव्रता या उद्भासन (उद्भासन दर) का मापन करते हैं। वैयक्तिक मानीटरन के लिये जेबी डोज़ मापकों या कार्मिक डोज़ मानीटरन बैज (जिसमें प्रकाश संवेदी फिल्म होती है) या ताप-संदीप्ति डोज़ मापकों का प्रयोग किया जाता है। वैयक्तिक डोज़ मापक प्रयोग की पूरी अवधि में संचित कुल डोज़ रिकार्ड करते हैं।
वैयक्तिक मानीटरन का अर्थ है – विकिरण स्रोतों के साथ कार्य करने वाले व्यक्तियों को मिली डोज़ का आकलन।
चित्र 3 : वैयक्तिक मानीटरन बैज
वर्ष 1990 तक हमारे देश में सर्वाधिक प्रयुक्त वैयक्तिक मानीटरन युक्ति फिल्म बैज थी जिसमें फिल्टरों के एक सेट वाले कैसेट में फोटोग्राफिक फिल्म रखी जाती थी (चित्र 3 क)। फिल्म बैज के प्रयोग द्वारा विभिन्न प्रकार के विकिरणों (बीटा, गामा, एक्स-रे तथा तापीय न्यूट्रान) की 0.1 mSv से 10 Sv (10 मिलीरेम – 1000 रेम) डोज़ों का आकलन किया जा सकता है। फिल्म एक स्थायी रिकार्ड होती है तथा छाती पर पहनने से सामान्य कार्यकारी स्थिति में पूरे शरीर को मिली डोज़ का सर्वाधिक प्रतिनिधिक मान देती है। फिल्म के माध्यम से बीटा, एक्स-रे, गामा या न्यूट्रानों द्वारा उद्भासन से मिली डोज़ का आकलन किया जा सकता है। तापीय न्यूट्रान फिल्म को सीधे प्रभावित नहीं करते। इन्हें कैडमियम द्वारा तापीय न्यूट्रानों के अवशोषण से उत्सर्जित गामा विकिरण द्वारा मापा जाता है। द्रुत न्यूट्रान मानीटरन के लिये विशेष प्रकार की NTA फिल्म का प्रयोग किया जाता है। यह फिल्म द्रुत न्यूट्रानों व हाइड्रोजन अणुओं की अंतर्क्रिया से उत्पन्न प्रतिक्षेप प्रोटानों के मार्ग को रिकार्ड करती है। प्रतिक्षेप न्यूट्रान मार्गों की गणना से द्रुत न्यूट्रान डोज़ का पता लगाया जाता है।
आजकल कार्मिकों को मिली डोज़ का निर्धारण ताप-संदीप्ति डोज़ मापन (TLD) बैजों द्वारा किया जाता है। इसमें धात्विक ढांचे में आरोपित 3 CaSO4:Dy डिस्क होती हैं तथा इसे बहु-फिल्टर कैसेट में बंद किया जाता है (चित्र 3 ख)। टीएलडी बैज का प्रयोग बीटा, गामा व एक्स-रे विकिरणों के मानीटरन के लिये किया जाता है। इनकी परास 0.1 mSv – 1.0 Sv (10 मिली रेम – 1000 रेम) तक होती है।
कार्मिकों की विकिरण डोज़ को जेबी डोज़ मापकों द्वारा भी मापा जा सकता है। जहां विकिरण स्तर काफी परिवर्तनशील तथा अधिक जोखिमपूर्ण होता है वहां जेबी डोज़ मापक काफी उपयोगी है। ये डोज़मापक डोज़ का मान तुरंत उपलब्ध करते हैं तथा इसे व्यक्ति द्वारा सीधे पढ़ा जा सकता है। ये डोज़मापक 2 mGy, 50 mGy व 100 mGy (200 mR, 5R, 10R) आदि मान तक विकिरण मापन के लिये उपलब्ध हैं (चित्र 4)। इनमें एक कैपेसिटर होता है जिससे बाहरी वोल्टेज़ द्वारा आवेशित किया जाता है। विकिरण उद्भासन होने पर, कक्ष में उत्पन्न आयनीकरण कैपेसिटर पर उपलब्ध वोल्टेज को कम करता है। इस कमी से आयनीकरण तथा उद्भासन की मात्रा जानी जाती है। स्वत: रीडिंग जेबी मापनों में कैपेसिटर इकाई के साथ फायबर इलेक्ट्रोमीटर तथा एक नेत्रक रैटीक्यूल लगाया जाता है। इन्हें बाहरी वोल्टेज से आवेशित किया जाता है। नेत्रक के माध्यम से डोज़ को सीधे पढ़ा जा सकता है। (चित्र 4)
चित्र 4 : जेबी डोज़ीमीटर