एईआरबी का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत में आयनीकारक विकिरण तथा नाभिकीय ऊर्जा के कारण लोगों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को किसी भी प्रकार का अवांछित जोखिम न हो ।

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संरक्षा अनुसंधान संस्थान

संरक्षा अनुसंधान संस्थान का उद्देश्य है एईआरबी के नियामक कार्यों को सहयोग प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण सुरक्षा संबंधी क्षेत्रों में एक सुदृढ शोध क्षमता के साथ एक अद्वितीय अनुसंधान और ज्ञान का आधार तैयार करना है।  इस उद्देश्य के साथ तत्कालीन तत्कालीन अध्यक्ष प्रो. पी. रामाराव की पहल के तहत कल्पक्कम में आईजीसीएआर परिसर में सुरक्षा अनुसंधान संस्थान स्थापित किया गया था। संस्थान के लिए नींव का पत्थर ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के तहत 20 फरवरी, 1999 को परमाणु ऊर्जा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ.आर.चिदंबरम द्वारा रखा गया, संस्थान के प्रथम निदेशक श्री पी.रोड्रिग्ज थे।

एसआरआई में किए जाने वाले अनुसंधान क्षेत्रों को विशेष रूप से इस प्रकार से चयनित किया जाता है कि वे परमाणु ऊर्जा विभाग की इकाइयों में चल रहे अनुसंधान एवं विकास कार्यों के पूरक के रूप में कार्य कर सकें । एसआरआई में की जाने वाली वैज्ञानिक गतिविधियों में शामिल हैं लाइट वॉटर और फास्ट रिएक्टर फिजिक्स, विकिरण शील्डिंग एवं परिवहन और क्रिटिकलिटी कम्प्यूटेशंस, विश्वसनीयता और संभावित सुरक्षा आकलन, अवसंरचनात्मक एवं भूकंपकीय अध्ययन, अग्नि शमन सुरक्षा,  ताप जलीय अध्ययन, एनएसडीएफ की सुरक्षा आकलन, रेडियोन्यूक्लाइड प्रवासन अध्ययन , अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित अनुसंधान गतिविधियों, ईंधन सुरक्षा अध्ययन, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस एप्लीकेशन, कंप्यूटर संहिताओं की एक डिपॉजिटरी की स्थापना आदि । उपरोक्त क्षेत्रों में, एसआरआई की अनुसंधान गतिविधियों की संरचना और प्राथमिकता एवं उसकी प्रगति की निगरानी एईआरबी प्रबंधन द्वारा बारीकी से की जाती है।  एईआरबी कार्यकारी समिति, एसआरआई-वैज्ञानिक समिति (अब एईआरबी - रेगुलेटरी सेफ्टी रिसर्च एसीआरएसआर पर सलाहकार समिति की जगह) और एईआरबी बोर्ड द्वारा समय-समय पर इसकी समीक्षा की जाती है।

विजिटर काउण्ट: 4318449

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कार्यालय का पता

परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद, नियामक भवन अणुशक्तिनगर,, मुंबई 400094, भारत,

कार्य का समय
9:15 से 17:45 – सोमवार से शुक्रवार

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