औद्योगिक व अनुसंधान एवं विकास सुविधायें
एईआरबी, परमाणु ऊर्जा विभाग की निम्न औद्योगिक व अनुसंधान एवं विकास सुविधाओं का संरक्षा नियमन करता है।
भारी पानी बोर्ड, परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत उद्योग व खनिज़ सेक्टर की एक इकाई है तथा यह भारी पानी (ड्यूटीरियम आक्साइड – D2O) का उत्पादन करता है। साथ ही परमाणु ऊर्जा विभाग की इकाईयों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये विभिन्न आर्गेनो-फास्फोरस विलायकों का उत्पादन भी करता है।
भारी पानी का उत्पादन मनुगुरू (तेलंगाना), रावतभाटा (राजस्थान), थाल (महाराष्ट्र) तथा हज़ीरा (गुजरात) में किया जाता है। बड़ौदा (गुजरात), तुतीकोरिन (तमिलनाडु) तथा तलचर (ओडिशा) स्थित अन्य संयंत्र, परमाणु ऊर्जा विभाग में प्रयुक्त आर्गेनो-फास्फोरस विलायकों व अन्य रसायनों का भी उत्पादन करते हैं। भारी पानी बोर्ड अपने प्रौद्योगिकी प्रदर्शन संयंत्र, मुंबई में विरल पदार्थ (यूरेनियम) की पुनर्पाप्ति में भी संलग्न है।
एईआरबी, भारी पानी बोर्ड की सुविधाओं का नियमन, परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 के विभिन्न खंडों के अंतर्गत करता है। बोर्ड, इन सुविधाओं में फैक्ट्रीज अधिनियम, 1948 तथा परमाणु ऊर्जा (फैक्ट्रीज) नियम,1996 के प्रावधानों को लागू करता है। विरल पदार्थ पुनर्प्राप्ति संयंत्र में परमाणु ऊर्जा (विकिरण संरक्षण) नियम, 2004 के प्रावधानों का प्रवर्तन भी एईआरबी द्वारा किया जाता है।
एईआरबी द्वारा इन सुविधाओं की संरक्षा समीक्षा के लिये बहुचरणी प्रक्रिया अपनायी जाती है जैसे आंतरिक समीक्षा ग्रुप (IHRG), इकाई संरक्षा समिति एवं प्रचालित संयंत्र समीक्षा समिति (SARCOP)/ ईंधन चक्र सुविधाओं की परियोजना संरक्षा समीक्षा सलाहकार समित (ACPSR-FCF) द्वारा समीक्षा। इन सुविधाओं को, एईआरबी संरक्षा संहिता ‘नाभिकीय एवं विकिरण सुविधाओं का नियमन’ (एईआरबी/एससी/जी, 2000) तथा उसकी संबंधित संदर्शिकाओं के आधार पर अनुमति प्रदान की जाती है। इन सुविधाओं का संरक्षा आकलन, विशेष संरक्षा संदर्शिकाओं ‘भारी पानी संयंत्रों की डिज़ाइन व प्रचालन के संरक्षा पहलू’ (एईआरबी/एचडब्ल्यूपी/एसजी-1, 2014) तथा ‘भारी पानी संयंत्रों का आयु प्रबंधन’ (एईआरबी/एचडब्ल्यूपी/एसजी-2, 2014) के आधार पर किया जाता है।
एईआरबी द्वारा की गयी संरक्षा समीक्षा के आधार पर, इन सुविधाओं के जीवन चक्र के विभिन्न चरणों के लिये अनुमति प्रदान की जाती है। एईआरबी द्वारा निर्दिष्ट संरक्षा आवश्यकताओं के अनुमति प्राप्तकर्ता द्वारा अनुपालन की पुष्टि के लिये इन सुविधाओं के सावधिक नियामक निरीक्षण भी किये जाते हैं।