नियामक प्रवर्तन
एईआरबी को विकिरण व औद्योगिक संरक्षा सुनिश्चित करने के लिये परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 के अंतर्गत बनाये गये नियमों के प्रावधान लागू करने के लिये प्रवर्तन कार्यवाही करने के अधिकार प्राप्त हैं।
परमाणु ऊर्जा (विकिरण संरक्षण) नियम 2004 के नियम क्र. 31 के प्रावधानों (विकिरण संस्थापन या रेडियोसक्रिय पदार्थ की जांच, सील करने या जब्त करने तथा नियोक्ता को निर्देश देने का अधिकार) के अंतर्गत
- परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1962 के खंड 17 के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्ति, निरीक्षण के बाद, इन नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन का निर्धारण करने के लिये जांच कर सकता है;
- ये जांच किसी शिकायत या संदेह के आधार पर अथवा असामान्य घटना/दुर्घटना के बाद की जा सकती है;
- जांच के लिये प्राधिकृत व्यक्ति निम्न कार्य कर सकता है : -
- किसी विकिरण संस्थापन या रेडियोसक्रिय पदार्थ ले जाने वाले किसी वाहन को सील करना अथवा किसी रेडियोसक्रिय पदाथ या संदूषित उपकरण को जब्त करना; तथा
- नियोक्ता को पर्याप्त संरक्षा सुनिश्चित करने की लिखित संस्तुति करना जिसका पालन करना लायसेंसधारक के लिये अनिवार्य है।
कोई व्यक्ति जो परमाणु ऊर्जा (विकिरण संरक्षण) नियम, 2004 के प्रावधानों अथवा उसके अंतर्गत जारी लायसेंस की शर्तों का उल्लंघन करेगा वह परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 के वर्णित दंड का भागी होगा।
एईआरबी, अनुपालन न किये जाने पर उसकी गंभीरता व संरक्षा महत्व के आधार पर प्रवर्तन कार्यवाही के लिये क्रमिक प्रणाली अपनाता है। एईआरबी द्वारा की जाने वाली प्रवर्तन कार्यवाही में निम्नलिखित कार्य शामिल हैं :
- प्रवर्तन पत्र
- लिखित निर्देश जारी करना
- गतिविधियों को कम करने का आदेश
- अनुमतियां प्राधिकार या लायसेंस का संशोधन, निलंबन या रद्द करना
- अन्य दंडात्मक कार्यवाही शुरू करना।
साथ ही निरीक्षक दल के नेता भी एईआरबी अध्यक्ष से परामर्श के बाद स्थल पर तुरंत प्रवर्तन कार्यवाही करने का अधिकार प्राप्त हैं।
नियामक संस्था के निर्णय के असहमत होने पर, लायसेंसधारक निर्णय के खिलाफ परमाणु ऊर्जा आयोग को अपील कर सकता है।