एईआरबी का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत में आयनीकारक विकिरण तथा नाभिकीय ऊर्जा के कारण लोगों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को किसी भी प्रकार का अवांछित जोखिम न हो ।

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रेडियोथेरेपी

रेडियोथेरेपी, आयनकारी विकिरण जैसे गामा किरणों (रेडियोसक्रिय स्रोत द्वारा उत्‍सर्जित) उच्‍च ऊर्जा एक्‍स-रे (चिकित्‍सीय त्‍वरक द्वारा जनित) तथा हैड्रान थेरेपी त्‍वरक (जैसे प्रोटोन/कार्बनआयन आधारित) की सहायता से कणीय थेरेपी के उपयोग द्वारा की जाती है। रेडियोथेरेपी का उद्देश्‍य है – ट्यूमर को वांछित विकिरण डोज़ देना तथा आसपास के सामान्‍य ऊतक को न्‍यूनतम डोज़ देना। ट्यूमर को विकिरण डोज़ बाहरी बीम थेरेपी (जैसे टेलीथेरेपी) या ब्रेकीथेरेपी या आवश्‍यकतानुसार दोनों के प्रयोग द्वारा दी जाती है। बाहरी बीम विकिरण थेरेपी में विकिरण डोज़ टेलीथेरेपी उपकरण द्वारा दी जाती है। विकिरण स्रोत ट्यूमर से कुछ दूरी पर होता है। ब्रेकीथेरेपी कैंसर उपचार की वह विधि है जिसमें स्रोत को ट्यूमर के पास रखा जाता है तथा डोज़ अंतरालीय, अंतर्गुहिका या सतही प्रयोग द्वारा दी जाती है।

 

रेडियोथेरेपी सुविधा स्‍थापित करने के लिये प्रयोक्‍ता संस्‍थान को परमाणु ऊर्जा (विकिरण संरक्षण) नियम, 2004 तथा एईआरबी संरक्षा संहिता [एईआरबी/आरएफ-एससी/एमईडी-1 (संशोधन-1)] में वर्णित नियामक आवश्‍यकताओं की पूर्ति करनी आवश्‍यक है तथा ‘विकिरण सुविधाओं की अनुमति प्रक्रिया’ (एईआरबी/एसजी/जी-3) संरक्षा संदर्शिका के अनुसार एईआरबी में आवश्‍यक नियामक अनुमति प्राप्‍त करनी चाहिये।

रेडियोथेरेपी सुविधाओं के नियमन से संबंधित जानकारी :

विजिटर काउण्ट: 4905397

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कार्यालय का पता

परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद, नियामक भवन अणुशक्तिनगर,, मुंबई 400094, भारत,

कार्य का समय
9:15 से 17:45 – सोमवार से शुक्रवार

वर्ष के सार्वजनिक अवकाशों की सूची

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