एईआरबी का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत में आयनीकारक विकिरण तथा नाभिकीय ऊर्जा के कारण लोगों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को किसी भी प्रकार का अवांछित जोखिम न हो ।

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विकिरणीय संरक्षा सिद्धांत

औचित्य:

विकिरण से संबंधित किसी भी जारी प्रक्रिया के तहत कोई भी नई प्रक्रिया अथवा स्रोत को तब तक अधिकृत नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि उस प्रक्रिया से पर्याप्त लाभ न हो अर्थात विकिरण की यह प्रक्रिया सामाजिक, आर्थिक तथा अन्य संबंधित तथ्यों को ध्यान में रखते हुए इस प्रकार से उचित एवं लाभदायक हों कि विकिरण से उद् भासित होने वाले व्यक्ति को अथवा समाज को विकिरण से होने वाली हानियों को पूरा किया जा सके ।


इष्टतमीकरण (ALARA): :

सभी सजीव प्राकृति रूप से निर्मित तथा मानव निर्मित विकिरण स्रोतों के संपर्क में आते हैं। जो व्यक्ति आयनीकारक विकिरण के संपर्क में आता है उसमें जैविकीय परिवर्तन हो सकते हैं इसलिए व्यावसायिक कार्मिकों की डोज की मात्रा यथासंभव रूप से कम तथा रोगियों को दी जाने वाली डोज की मात्रा ईष्टतम रखी जाए इसे As Low As Reasonably Achievable (ALARA) का सिद्धांत कहते हैं। विकिरण उद् भासन को कम से कम रखने के लिए उपयुक्त नियंत्रण उपाय अपनाए जाएँ ताकि विकिरण के न्यूनतम जोखिम के साथ अधिकतम लाभ उठाया जा सके।


डोज की सीमा (डोज सीमा का उल्लंघन कभी न करें) :

विकिरण से संबंधित सभी प्रचलित प्रक्रियाओं से किसी भी व्यक्ति को मिलने वाले विकिरण की मात्रा इतनी होनी चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उस व्यक्ति को विकिरण के कारण इस प्रकार का जोखिम न उठाना पड़े जिसे अस्वीकार्य मान्य किया जाए ।


डोज सीमा

शरीर का अंग

व्यावसायिक उद् भासन

सार्वजनिक उद् भासन

पूरा शरीर

(प्रभावी डोज )

20 mSv/वर्ष 5 सतत वर्षों का औसत;

30 mSv किसी भी एक वर्ष मेंr

1 mSv/ वर्ष

आँखों का लेंस

(समतुल्य डोज)

150 mSv एक वर्ष में

15 mSv/वर्ष

त्वचा

(समतुल्य डोज))

500 mSv एक वर्ष में

50 mSv/वर्ष /p>

हाथ व पैर

(हाथों व पैरों के लिए )

समतुल्य डोज

500 mSv एक वर्ष में

-

गर्भवती विकिरण कार्मिक के लिए, उनकी गर्भावस्था सुनिश्चित होने के पश्चात भ्रूण को मिलने वाले विकिरण की डोज 1 mSv से अधिक नहीं होनी चाहिए


यहाँ,

व्यावसायिक उद् भासन – उन कार्मिकों का विकिरण उद् भासन जो किसी ऐसी प्रक्रिया या कार्य से जुड़े हुए हों जिसमें वो रेडियोएक्टिव स्रोत अथवा विकिरण उत्पन्न करने वाले उपकरणों की हैण्डलिंग करने के कारण विकिरण से उद् भासित होते हैं।

सार्वजनिक उद्भासन – उपरोक्त कार्यों के कारण आम लोगों का विकिरण उद् भासन

विकिरण संरक्षा के तीन मौलिक कारक (व्यावसायिक कार्मिकों तथा आम लोगों के लिए )

समय

  • विकिरण से होने वाला उद् भासन समय के समानुपाती होता है ।

  • स्रोत से मिलने वाली डोज की मात्रा को कम करने के लिए उद् भासन का समय कम करें ।

दूरी

  • उद् भासन की दर कम करने के लिए स्रोत से दूरी बढ़ाएँ ।

  • I1 d12 = I2 d 22 (व्युत्क्रम वर्ग नियम)

  • स्रोत से दूरी दोगुनी करने पर ; डोज की दर वास्तविक मूल्य से ¼ रह जाती है ।.

  • स्रोत से दूरी आधी करने पर: डोज की दर वास्तविक मूल्य की 4 गुनी हो जाती है ।

  • स्रोत से जितनी अधिक दूरी – विकिरण की मात्रा उतनी ही कम

परिरक्षण

  • उचित परिरक्षण पदार्थ अथवा सुरक्षा उपकरण का प्रयोग करें

  • परिरक्षण से उद् भासन की दर कम हो जाती है:

                I = I 0 e - µt

                µ- परिरक्षण पदार्थ का रेखीय क्षीणता स्थिरांक

                t – परिरक्षण पदार्थ की मोटाई

               I0 – प्रारंभिक उद् भासन दर

                I – परिरक्षण पदार्थ से संचरित होने के पश्चात उद् भासन दर

  • अधिक मोटे परिरक्षण का प्रयोग करें (उच्च Z पदार्थ जैसे कि सीसा, स्टील, कंक्रीट आदि ) – गामा / एक्स-रे विकिरण की उद् भासन दर को कम करता है ।.

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