The mission of the AERB is to ensure the use of ionising radiation and nuclear energy in India does not cause undue risk to the health of people and the environment.

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रेडियोसक्रिय पदार्थों का परिवहन

e-LORA guideline for transport-Radiation Facilities

e-LORA guideline for transport- Department of Atomic Energy(DAE)


चिकित्‍सा, उद्योग, कृषि, अनुसंधान व प्रशिक्षण आदि क्षेत्रों में विकिरण स्रोतों के बढ़ते हुए प्रयोग के कारण रेडियोसक्रिय पदार्थों का परिवहन बहुत बढ़ गया है। ऐसे पदार्थ का उत्‍पादन स्‍थल से प्रयोग के स्‍थान तक, प्रयोग के एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक, प्रयोग के स्‍थान से सुरक्षित निपटान करने वाली एजेंसी तक परिवहन करना पड़ता है। भारत में कुछ RBq से PBq तक सक्रियता वाले एक लाख से अधिक पैकेजों का प्रतिवर्ष परिवहन किया जाता है। एईआरबी, विकिरण स्रोतों के सुरक्षित प्रहस्‍तन तथा रेडियोसक्रिय पदार्थों के परिवहन के दौरान नियामक नियंत्रण के लिये राष्‍ट्रीय नियामक प्राधिकरण है। भारत में रेडियोसक्रिय पदार्थों का परिवहन एईआरबी संहिता “रेडियोसक्रिय पदार्थों का संरक्षित परिवहन” [एईआरबी/एनआरएस-टीएस/एससी-1 (संशोधन-1), 2016] से नियंत्रित होता है जो आईएईए के “रेडियोसक्रिय पदार्थों का संरक्षित परिवहन” नियमों (एसएसआर-6, 2012 संस्‍करण) पर आधारित है।

‘परिवहन के दौरान रेडियोसक्रिय पदार्थों की सुरक्षा’ नामक नियामक संदर्शिका (एईआरबी/एनआरएफ-टीएस/एसजी-10, 2008) भी प्रकाशित की है। इस संदर्शिका में रेडियोसक्रिय पदार्थ के द्वेषपूर्ण प्रयोग के संभावित विकिरण परिणामों के अनुरूप सुरक्षा स्‍तर स्‍थापित किये गये हैं। इस प्रलेख का उद्देश्‍य है – रेडियोसक्रिय पदार्थ के अधिकृत प्रयोक्‍ता, प्रेषक, वाहक या अन्‍य संबंधित व्‍यक्तियों को परिवहन के दौरान रेडियोसक्रिय पदार्थ को चोरी, तोड़-फोड़ या ऐसे अन्‍य द्वेषपूर्ण कार्यों से बचाने के लिये मार्गदर्शन प्रदान करना, जिनके गंभीर विकिरणी परिणाम हो सकते हैं।

एईआरबी संहिता ‘रेडियोसक्रिय पदार्थों का संरक्षित परिवहन’ [एईआरबी/एनआरएफ-टीएस/एससी-1 (संशोधन-1), 2016] में रेडियोसक्रिय पदार्थों तथा पैकेजिंग के वर्गीकरण, डिज़ाइन व परीक्षण आवश्‍यकताओं, पैकेजों के अनुरूप सक्रियता सीमा, परिवहन नियंत्रण, अनुमोदन व प्रशासनिक आवश्‍यकताओं की जानकारी दी गयी है।

पैकेज का अर्थ है रेडियोसक्रिय पदार्थ एवं पैकेजिंग सामग्री सहित परिवहन के लिये तैयार माल।

रेडियोसक्रिय पदार्थों के परिवहन की मूल आवश्‍यकता यह है कि पैकेज इस प्रकार डिज़ाइन व तैयार किया जाना चाहिये कि परिवहन की पूरी प्रक्रिया में रेडियोसक्रिय पदार्थ उसके अंदर सुरक्षित रहे, संदूषण न हो तथा सामान का प्रहस्‍तन करने वाले कार्मिकों व जनता को अस्‍वीकार्य विकिरण उद्भासन न मिले। चूंकि रेडियोसक्रिय पदार्थों की सक्रियता व प्रकृति अलग अलग होती है [कुछ kBq (कुछ माइक्रोक्‍यूरी से लेकर कुछ PBq (हज़ारों क्‍यूरी) तक] अत: पैकेजिंग के लिये भी अलग अलग पात्रों का प्रयोग किया जाता है।

रेडियोसक्रिय पदार्थ विशिष्‍ट रूप (अविक्षेपणीय या सीलबंद स्रोत) या अन्‍य रूप में हो सकता है। अत: पदार्थ की प्रकृति, भौतिक रूप तथा सक्रियता के अनुसार अलग अलग प्रकार के पैकेजों का प्रावधान है। ऐसे पैकेजों में विमुक्‍त पैकेज, औद्योगिक पैकेज (टाईप IP-1, IP-2, IP-3), टाईप ‘A’ पैकेज, टाईप B(u), टाईप B(M) तथा टाईप C पैकेज शामिल हैं।

विभिन्‍न प्रकार के पैकेज

विमुक्‍त पैकेज : Please refer to section 5.5 of the AERB safety code on विमुक्‍त पैकेजों के वर्गीकरण, सीमाओं व आवश्‍यकताओं के विवरण के लिये एईआरबी संरक्षा संहिता ‘रेडियोसक्रिय पदार्थों का संरक्षित परिवहन’ [एईआरबी/एनआरएफ-टीएस/एससी-1 (संशोधन-1), 2016] का खंड 5.5 देखें।

टाईप ‘A’ पैकेजों का प्रयोग कम सक्रियता वाले पदार्थों जैसे न्‍यूक्लियानिक गेजों के स्रोत, अस्‍पतालों में प्रयुक्‍त कुछ ब्रेकीथेरेपी स्रोत, निदान व चिकित्‍सा के लिये प्रयुक्‍त नाभिकीय औषध स्रोतों के परिवहन में किया जाता है (विशिष्‍ट रूप से स्रोतों के लिये अनुमत सक्रियता A1 तथा अन्‍य स्रोतों के लिये A2)। इन्‍हें परिवहन की सामान्‍य स्थितियों को सहन करने के लिये डिज़ाइन किया जाता है।

नियमों के अनुसार इन पैकेजों में भेजी जाने वाली सक्रियता की सीमायें हैं – A1 व A2 । A1, ‘A’ टाईप पैकेज में विशिष्‍ट रूप के रडियोसक्रिय पदार्थ को भेजने की सीमा है जबकि A2 अन्‍य रूपों के रेडियोसक्रिय पदार्थ की सीमा है।

कुछ सामान्‍य रेडियोआइसोटोपों की A1 व A2 सीमायें “कुछ सामान्‍य रेडियोआइसोटोपों का A1 व A2 सीमायें” नामक सारणी में दी गयी है।

TB(U)/B(M) पैकेज सक्षम प्राधिकरण अर्थात एईआरबी के अनुमोदन से अधिक सक्रियता के स्रोतों (जैसे टेलीथेरेपी स्रोत, गामा किरणक स्रोत, औद्योगिक रेडियोग्राफी स्रोत) को भेजने के लिये प्रयोग किये जाते हैं।

टाईप ‘C’ पैकेज अत्‍युच्‍च सक्रियता वाले पदार्थों को वायुयान द्वारा भेजने के लिये प्रयोग होते हैं। उन्‍हें परिवहन के दौरान गंभीर दुर्घटना स्थितियों को सहन करने के लिये डिज़ाइन किया जाता है।

परिवहन के दौरान संरक्षा

नियमों के अनुपालन की प्रमुख जिम्‍मेदारी प्रेषक की है। प्रेषक द्वारा उपयुक्‍त पैकेज का चुनाव सुनिश्चित किया जाना चाहिये तथा उसे उचित ढंग से तैयार करके उस पर नियमों के अनुसार चिन्ह व लेबल लगाये जाने चाहिये। पैकेज की तैयारी के लिये दिशानिर्देश “पैकेजों की तैयारी की विधि” में दिये गये हैं।

यदि पैकेज को निर्दिष्‍ट विधि के अनुसार तैयार किया गया है तो उसका परिवहन सड़क, रेल, समुद्री या हवाई जहाज द्वारा किया जा सकता है।

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