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6.3.3 तैयारी के प्रगत िरण में संरक्ा प्रलेख राती है नरसमें आईएईए के सदस्य देशों के अपिे-अपिे देशों में मािक
स्थानपत करिे के उतिरदानयत्व वािे वररष्ठ नवशेषज्ञ होते हैं। एईआरबी के
(क) संरक्ा संदनशजाका “िानभकीय ऊराजा संयंत्रों की अिुमनत प्रनक्रया” अध्यक्, भारत की ओर से सीएसएस के सदस्य है।
(एईआरबी/एसरी/री-1 (संशोिि 1))
6.4.2 आईएईए मािकों के मसौदों की समीक्ा
(ख) संरक्ा संदनशजाका “िानभकीय ऊराजा संयंत्रों के निए नडजाइि आिार
घटिाएँ” (एईआरबी/एसरी/डी-5, (संशोिि 1)) मसौदों की समीक्ा के निए भारत की ओर से एईआरबी समीक्ा का
समन्वय एवं िेतृत्व करती है। इि मािकों की समीक्ा में िाइसेंसिारकों व
(ग) संरक्ा संदनशजाका “रि शीनतत िानभकीय ऊराजा संयंत्रों में दुघजाटिा
प्रबंिि कायजाक्रम” (एईआरबी/एसरी/डी-26, ियी) तकिीकी सहायता संगठि के नवशेषज्ञों को भी अपिे नवचार प्रस्तुत करिे
का अवसर नदया राता है।
(घ) संरक्ा संदनशजाका “िानभकीय ऊराजा संयंत्रों की सावनिक संरक्ा
समीक्ा” (एईआरबी/एसरी/ओ-12, (संशोिि 1)) 6.4.3 आईएईए मािक के नवकास में प्रनतभानगता
एईआरबी के नवशेषज्ञ, संरक्ा नियमि के अपिे क्ेत्र की नवशेषज्ञता के
(ङ) संरक्ा संदनशजाका “िानभकीय ऊराजा संयंत्रों के नवद्ुतीय ऊराजा तंत्रों की
नडजाइि” (एईआरबी/एसरी/डी-11 (संशोिि 1)) अिुसार आईएईए मािकों के नवकास में भी भाग िेते हैं।
इस वषजा निम्ि आईएईए प्रिेखों की समीक्ा की गयी:
(च) संरक्ा संदनशजाका “क्रांनतकता संरक्ा के निए नवखंडिीय पदाथजा हस्ति
सुनविाएँ” (एईआरबी/बीई-एफसीएफ/एसरी-3, ियी) 6.4.4 आईएईए के प्रलेख तैयारी प्रसतावों के मसौदे तथा प्रलेख
(सीएसएस के अलावा)
6.4 आईएईए संरक्ा मािकों के मसौदों की समीक्ा
(क) िानभकीय ऊराजा संयंत्रों में प्रचािि सीमाएँ व प्रनतबंि तथा प्रचािि
डॉ. होमी रहांगीर भाभा की अध्यक्ता में रेिेवा में 1955 में हुई नवनियां (डीएस 497A)
आईएईए की पहिी रिरि कांफ्ेंस के समय से ही भारत, आईएईए के
उद्ेशयों में महत्वपूणजा योगदाि देता रहा है। संरक्ा मािकों व िानभकीय सुरक्ा (ख) िानभकीय ऊराजा संयंत्रों में संशोिि (डीएस 497B)
सीरीर का नवकास ऐसा ही एक क्ेत्र हैं। एईआरबी इस कायजा में निम्ि प्रकार (ग) िानभकीय ऊराजा संयंत्रों का प्रचािि संगठि (डीएस 497C)
से योगदाि देता है:
(घ) िानभकीय ऊराजा संयंत्रों में क्रोड प्रबंिि तथा ई ं िि हस्ति (डीएस
6.4.1 मािकों की सनमनत में प्रनतभानगता
497D)
आईएईए में मािकों के निए पांच सनमनतयां हैं – (ङ) िानभकीय ऊराजा संयंत्रों का अिुरक्ण, निगरािी एवं सेवाकािीि
(i) आपातनस्थनत तैयारी व अिुनक्रया मािक सनमनत निरीक्ण (डीएस 497E)
(ii) िानभकीय संरक्ा मािक सनमनत (च) िानभकीय ऊराजा संयंत्रों में कानमजाकों की भतवी; अहजाता एवं प्रनशक्ण
(डीएस 497F)
(iii) नवनकरण संरक्ा मािक सनमनत
(छ) िानभकीय ऊराजा संयंत्रों में प्रचािि कायजा (डीएस 497G)
(iv) पररवहि संरक्ा मािक सनमनत, तथा
(र) अिुसंिाि ररएक्टरों की संरक्ा आकिि तथा संरक्ा नवश्ेषण ररपोटजा
(v) अपनशटि संरक्ा मािक सनमनत। की तैयारी [एसएसरी-20 (डीएस 510A)]
ये सनमनतयां संरक्ा व सुरक्ा के महत्व के अपिे-अपिे क्ेत्रों पर (झ) अिुसंिाि ररएक्टरों के उपयोग व संशोिि में संरक्ा [एसएसरी-24
ध्याि कें नद्रत करती हैं। एईआरबी के नवशेषज्ञ इि सभी सनमनतयों में (डीएस 510B)]
योगदाि देते रहे हैं।
(ञ) िानभकीय संस्थािों के निए उपकरण अहजाता (डीएस 514)
इि मािकों की समीक्ा संरक्ा मािक आयोग (सीएसएस) द्ारा की
वार्षिक प्ररिवेदन 2019 75